हर कोई यहां कोई सहारा ढूढ़ता है 
अना की बुलंदी में एक बेचारा ढूढता है 

इक हकीकत की जिसकी शाहिद तेरा वजूद है 
आंखें बंद कर उसी हकीकत को दुबारा ढूढता है 


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